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प्रधानमंत्री का कोरोना वायरस महामारी से सम्बंधित देश को संबोधन

Posted on: March 20, 2020 | Back | Print

मेरे प्रिय देशवासियों,

पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है।आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है।लेकिन इस बार ये संकट ऐसा हैजिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है।

जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ थाजब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ थातब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे,जितने आज कोरोना से हैं।

पिछले दो महीने से हम निरंतर दुनिया भर से आ रहीं कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताजनक खबरें देख रहे हैं,सुन रहे हैं।

इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया हैआवश्यक सावधानियां बरती हैं।

लेकिनबीते कुछ दिनों से ऐसा भी लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं,सब कुछ ठीक है।

वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है।

इसलिएप्रत्येक भारतवासी का सजग रहना,सतर्क रहना बहुत आवश्यक है।

साथियों,आपसे मैंने जब भी,जो भी मांगा है,मुझे कभी देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हमारे प्रयास सफल होते हैं। आज,मैं आप सभी देशवासियों सेआपसे,कुछ मांगने आया हूं। मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए,आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।

साथियोंअभी तक विज्ञान,कोरोना महामारी से बचने के लिए,कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है।

दुनिया के जिन देशों में कोरोना वायरस का प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा हैवहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है।

इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है। इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार इस स्थिति परकोरोना के फैलाव के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है।

हालांकि कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने तेजी से फैसले लेकर,अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा Isolate करके स्थिति को सँभाला है। भारत जैसे130 करोड़ की आबादी वाले देश के सामनेविकास के लिए प्रयत्नशील देश के सामने,कोरोना का ये बढ़ता संकट सामान्य बात नहीं है।

आज जब बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैंतो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगाये मानना गलत है।

इसलिए,  इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है।

पहलासंकल्प और दूसरासंयम।

आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते,अपने कर्तव्य का पालन करेंगेकेंद्र सरकार,राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।

आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।

साथियोंइस तरह की वैश्विक महामारी मेंएक ही मंत्र काम करता है- “हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ”।

ऐसी स्थिति मेंजब इस बीमारी की कोई दवा नहीं हैतो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है। इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम।

और संयम का तरीका क्या हैभीड़ से बचनाघर से बाहर निकलने से बचना। आजकल जिसे Social Distancing कहा जा रहा हैकोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर मेंये बहुत ज्यादा आवश्यक है।

हमारा संकल्प और संयमइस वैश्विक महामारी के प्रभावों को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

और इसलिएअगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं,आपको कुछ नहीं होगाआप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे,सड़कों पर जाते रहेंगेऔर कोरोना से बचे रहेंगेतो ये सोच सही नहीं है।

ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तकजब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें।

जितना संभव हो सके,आप अपना काम,चाहे बिजनेस से जुड़ा हो,ऑफिस से जुड़ा होअपने घर से ही करें।

जो सरकारी सेवाओं में हैंअस्पताल से जुड़े हैं,जन-प्रतिनिधि हैंजो मीडिया कर्मी हैंइनकी सक्रियता तो आवश्यक है लेकिन समाज के बाकी सभीलोगों को,खुद को बाकी समाज से Isolate कर लेना चाहिए।

मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों,65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों,वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।

आज की पीढ़ी इससे बहुत परिचित नहीं होगीलेकिन पुराने समय में जब युद्ध की स्थिति होती थी,

तो गाँव गाँव  में BlackOutकिया जाता था। घरों के शीशों पर कागज़ लगाया जाता थालाईटबंद कर दी जाती थीलोग चौकी बनाकर पहरा देते थे |

ये कभी-कभी काफी लंबे समय तक चलता था। युद्ध ना भी हो तो भी बहुत सी जागरूक नगरपालिकाएं BlackOutकी ड्रिल भी कराती थी।

साथियोंमैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं।ये है जनता-कर्फ्यू।

जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए,जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।

इस रविवारयानि22 मार्च कोसुबह बजे से रात बजे तकसभी देशवासियों को,जनता-कर्फ्यू का पालन करना है।

इस दौरान हम न घरों से बाहर निकलेंगेन सड़क पर जाएंगेन मोहल्ले में कहीं जाएंगे।

सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही 22 मार्च को अपने घरों से बाहर निकलेंगे।

साथियों,22 मार्च को हमारा ये प्रयासहमारे आत्म-संयम,देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलताइसके अनुभवहमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।

मैं देश की सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वोजनता-कर्फ्यूका पालन कराने का नेतृत्व करें।

NCC, NSS,से जुड़े युवाओं,देश के हर युवा,सिविल सोसायटीहर प्रकार के संगठन,इन सभी से भी अनुरोध करूंगा कि अभी से लेकर अगले दो दिन तक सभी कोजनता-कर्फ्यूके बारे में जागरूक करें।

संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए।

साथियोंये जनता कर्फ्यू एक प्रकार से हमारे लिए,भारत के लिए एक कसौटी की तरह होगा।

ये कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार हैये देखने और परखने का भी समय है।

आपके इन प्रयासों के बीचजनता-कर्फ्यू के दिन, 22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं।

साथियोंपिछलेमहीनों से लाखों लोगअस्पतालों में,एयरपोर्ट्स पर,दिन रात काम में जुटे हुए हैं।

चाहे डॉक्टर हों,नर्स होंहॉस्पिटल का स्टाफ हो,